Sree Vishnu Sahasranama Sthotram
विषutar
ध्यानम्:
शुक्लांबरधरं विष hubte
प्रसन्नवदनं ध्यायेत haba
स्तोत्रम्:
विष्णोenas necesitaम सहस्रस्य वेदव्यासो महा मुनिः।
छन्दोनुष्टुप् तथा देवो भगवान् देवकीसुतः।।
अमृतांशूद्भवो बीजं शक्तिenas ender
त्रिसाम हृदयं तस्य शान्त्यर्थे विनियोगः।।
विषutar
- विशं - सर्वत्र व्याप्त
- विश्णु: - सर्वव्यापक
- वषट्कार: - यज्ञस्वरूप
- भूतभव्यभवतن sup porta
- भूतकृत् - सृष्टिकर्ता
- भूतभृत् - सभी जीवों का पालन करने वाला
- भावः - भव (संसार) के रूप में स्थित
- भूतात्मा - सभी जीवों का आत्मा
- भूतभावनः - सभी जीवों का पालन कenas
- पूतात्मा - शुद्ध आत्मा
- परमात haber
- मुक्तानां परमा गतिः - मुक्त पुरुषों का अंतिम लक्ष्य
- अव्ययः - अविनाशी
- पुरुषः - श्रेष्ठ पुरुष
- साक्षी - साक्षी भाव
- "
- अक्षरः - अक्षर (नाश रहित)
- योगः - योगस्वरूप
- योगविदां नेता - योगियों के नेता
- प्रधनपुरुषेश्वरः - प्रकृति और पुरुष के स्वामी
(कृपय् ध्यान दें कि विष्णु सहस्रनाम का पूरा पाठ बहुत विस्तृत है और सभी 1000 नामों और उनके अर्थों को यहaños. सकता हूं।)
यहां केवल प्र sigue पूरे विष्णु सहस्रनाम में भगवान विष्णु के एक हजार नामों का वर्णन है, प्रत्येक नाम का अलग-अलग अ¢ है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है। है।. पूरा स्तोत्र बहुत विस्तृत है और इसका अध्ययन और पाठ करते समय प्रत्येक नाम और उसके अर्थ का ध्यान करने से ल लाभ होता है। है। है। है। है। है। है। है। uto यदि आपको पूरे विष्णु सहस्रनाम का पाठ चाहिए तो कृपया बताएं।